आयुर्वेद के अनुसार, पृथ्वी पर कोई भी कार्बनिक या प्राकृतिक पदार्थ पांच प्रमुख तत्वों से बना है। इन पांच घटकों को पंचतत्व कहा जाता है। ये पांच महान तत्व हैं १. पृथ्वी, २. जल (पानी), ३. अग्नि ४. वायु (हवा), ५. आकाश
मानव शरीर भी इन पांच तत्वों का एक अद्भुत संयोजन है। एकमात्र अंतर यह है कि मानव शरीर में 'चेतना' है, जो एक अदृश्य शक्ति है। उस शक्ति को "आत्मा" कहा जाता है।
मानव शरीर में मुख्य रूप से तीन दोष है। तीन दोष - वात , पित्त और कफ, पूरे शरीर को नियंत्रित करते हैं। वायु तत्व वात दोष बनाता है। अग्नि के दोष से पित्त का संतुलन बिगड़ता है । कफ दोष मुख्य रूप से पृथ्वी और जल तत्वों से बना है। ये तीन दोष मन और शरीर में सभी सामान्य और असामान्य घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।
शरीर का निर्माण करने वाले तथा जो शरीर को धारण करते हैं, उन्हें धातु कहा जाता है। आयुर्वेद में सात ऐसी धातुएं हैं। 1. रसधातु , 2. रक्त, 3 मांस, 4. मेद, 5. अस्थिधातू, 6. मज्जाधातू, 7. शुक्रधातु
मल एक कचरा है जिसे शरीर से हटा दिया जाता है। 1. पसीना, 2. मूत्र, 3. मल को त्रिमल कहा जाता है।
त्रिदोश, सप्तधातु और त्रिमल आयुर्वेद के तीन स्तंभ हैं। इन्हें आयुर्वेद के सिद्धांतों के रूप में जाना जाता है।
लिमार्क ने उपरोक्त सभी का अध्ययन करके कुछ अद्भुत आयुर्वेदिक मिश्रणों को बनाया है। और इसके अधिकांश उत्पाद आधुनिक वैक्यूम फ्रीज ड्राईंग ( VFD ) प्रक्रिया द्वारा बनाए जाते हैं।
फ्रीज ड्राईंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पहले किसी भी पदार्थ को सुखाने के लिए उस पदार्थ को उसी स्थिति में ठण्ड से जमा ( Deep Freezing ) दिया जाता है l फिर पूरी तरह से जमे हुए पदार्थ से जल निकासी के लिए एक वैक्यूम में रखा जाता है, ताकि पदार्थ में जमे हुए पानी ( बर्फ ) को सॉलिड से सीधे वाष्प में बदल दिया जाता है और मूल पदार्थ को सूखा दिया जाता है ।
एक वैक्यूम फ्रीज ड्राईंग प्रक्रिया के लाभ
इसके 3 अलग -अलग उपयोग हैं। सभी तीन बीमारी में उपयोग करने की विधि अलग है।
अनूपान (खाने की विधि) - भोजन से पहले गर्म पानी के साथ दोपहर और रात में १ -१ कैप्सूल लें।
लिमार्क अर्जुन छाल एक्सट्रैक्ट और गार्लिक एक्सट्रेक्ट कोई भी दिल के मरीज एक साथ ले ले तो ज्यादा फायदा हो सकता है।
यह उन लोगों की कमजोरी को दूर करने में विशेष रूप से उपयोगी है जो हाल ही में किसी बीमारी से उबर चुके हैं।
अनुपान (खाने की विधि) - सुबह, दोपहर और शाम को तीन बार 1-1-1 सेवन करें।
अनुपान (लेने की विधि) - सुबह 1 बजे और शाम को 1 भोजन के बाद लें।
अनुपान (खाने की विधि) - 1 कैप्सूल रात को गर्म पानी में (सुबह उठने से कम से कम 8 घंटे पहले) और कम से कम खाना खाने के 1/2 घंटे बाद, 1 या 2 (आवश्यकतानुसार) ले , यदि एक कैप्सूल से आराम नहीं मिले तो २ ले लीजिये . इसके इस्तेमाल के 1 से 2 दिन बाद सुबह 2 से 3 बार मल त्याग हो सकता है। 2 दिन बाद बहुत चिपचिपा शौच निकलेगा। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और एक संकेत है कि पाचन तंत्र ठीक हो रहा है।